1 अप्रैल:- मुर्ख दिवस पे मूर्खों की पहचान ( चुनाव पे विशेष )
हमारे समाज में आज कल मुर्ख दिवस मनाने का जो प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ता हुआ दिख रहा है..
वो किसी एक दिन का मोहताज नहीं है, आज अगर हम अपने चारो ओर नजर ले जाये तो हजारों की संख्या में ऐसे लोगों की फ़ौज खड़ी मिलेगी जिन्हें आज के परिवेश में मुर्ख बनाने की आवश्यकता नहीं है , वो खुद अपने कर्मो के द्वारा इस उपाधि " मुर्ख " को सुशोभित करते मिलेंगे |
आज हम उन्ही के बारे में चर्चा करेंगे और ये जानने की कोशिश करेंगे की आखिर कौन वो विशेष लोगों की जमात है जो हम आम आदमियों के बीच रहते हुए इस विशेष उपाधि को ग्रहण किये हुए है |
वर्ष २०१४ में यह सही अवसर प्राप्त हुआ है इस चुनावी समर में चर्चा करने का , सर्वप्रथम हम इस चुनावी समर को ध्यान में रखते हुए इस चर्चा को आरम्भ करेंगे |
मूर्खों की उन्नत किस्म की विशेष जनजाति हमारे भारत देश में पाई जाती है, जिनकी गणना हम कर नहीं सकते और जिन्हें हम पहचानने में पूर्णतः असफल है | हमारे इस विशाल देश के किसी कोने पे आप अगर नजर डालिए तो इस उन्नत किस्म के लोग आप को अवस्य नजर आ जायेंगे बस आप को अपनी एक पैनी नजर ले जाने की जरुरत होती है , इन लोगों में हम उन सर्वोच्च श्रेणी के मूर्खों को पाएंगे जो हार ५ सालों में इस महान चुनावी समर में पूरी तरह से क्रियाशील मिलेंगे | ये वो महान जनसँख्या होती है जो इस समय अपने को बहुत ही श्रेष्ठ समझती है पर उन्हे ये अंदाजा होता है की वो जिस कार्य को कर बहुत ही प्रगतिशील समझ रहे है यही कार्य उन्हें मूर्खों की सबसे उन्नत नस्ल में खड़ा कर रहा है और इस देश को भुत काल में ले जा रहा है .....
जी मित्रों आप ने एकदम सही समझा में उन्ही लोगों की चर्चा कर रहा हूँ जो इस देश के हर व्यक्ति विशेष के पास मौजूद सबसे बड़ी शक्ति मतदान की शक्ति को गलत हाथो में कुछ लालच वश बेच देते है , वो ये कुकर्म करने के बाद बहुत ही खुश या बहुत ही उत्साहीत महसूस कर रहे होते है लेकिन उन्हें इस बात का बिलकुल भी अंदाजा होता है की उन्होंने मुर्ख की उपाधि से स्वयं को सुशोभित किया है | अपने मत को बेचने वाले 1 नंबर के मुर्ख होते है |
इस चर्चा में हम 2 नंबर पे उन महान आत्माओ पे विचार करेंगे जो चुनाव के दिन अपनी सबसे बड़ी शक्ति का उपयोग नहीं करते और उन्हें व्यर्थ जाने देते है , और फिर पुरे ५ साल सरकार को गाली देते रहते है , तो उनसे बड़ा मुर्ख इस पुरे विश्व में लालटेन लेके भी सर्च करने पे नहीं मिलेगा जो अपने एक दिन के आराम और मौज के चक्कर में अपने और अपने देश की भविष्य के साथ खिलवाड़ करते है |
इस चर्चा में तीसरे नंबर पे वो विशेष मुर्ख आते है जो जातीय या भोगौलिक परिवेश को ध्यान में रखते हुए अपने मत का प्रयोग करते है | और ये कहते है की चोर तो सब है तब क्यों न अपने जाती वाले को ही या अपने गावं या शहर वाले को ही वोट दे |
चौथे नंबर पे मूर्खों की की वो जमात आती है जो अपने समाज के बड़े गुंडे या दादा ,बाहुबली का चुनाव कर उन्हें अपने यंहा का प्रतिनिधि चुनती है |
मित्रो में आप से इस चुनावी समर पे विशेष निवेदन करूँगा की आप अपने मत का प्रयोग अवश्य करे और इन विशेष उन्नत किस्म के मूर्खों की किशी भी विशेषता को मत अपनाइयेगा | और अपने दोस्तों परिजनों परिवार गण से अनुरोध जरुर करियेगा की अपनी इस विशेष शक्ति को पहचाने और इसका उपयोग एक अच्छे सच्चे अपने जनप्रतिनिधि को चुनने में करे |
No comments:
Post a Comment